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Padmanabhaswamy Temple: देश का सबसे रईस और रहस्यमय मंदिर in hindi and english

Padmanabhaswamy Temple: देश का सबसे रईस और रहस्यमय मंदिर, जरूर देखने जाएं

इस मंदिर से आस्था जुड़ी है और जिज्ञासा भी। जिज्ञासा है इससे जुड़ी कहानियों को लेकर। यह मंदिर देश के सबसे रईस मंदिरों में से एक है। जानें, केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं और धार्मिक महत्व। साथ ही जाने का समय।

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केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। साथ ही इस मंदिर की गिनती दुनिया की कुछ रहस्यमय जगहों में होती है। इस मंदिर में कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जिन्हें कई कोशिशों के बाद भी लोग इसको सुलझा नहीं पाएं हैं। इस मंदिर के सातवें दरवाजे का रहस्य हर किसी के मन में सवाल खड़े करता है। आइए, जानते हैं इस मंदिर के उस रहस्य से जुड़ी कथाएं। साथ ही कब इस मंदिर को आसानी से घूमा जा सकता है।

मान्यता है कि इस मंदिर को 6वीं शताब्‍दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था, जिसका जिक्र 9वीं शताब्‍दी के ग्रंथों में भी आता है। साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी की 'पद्मनाभ दास' बताया। इसके साथ ही त्रावणकोर राजघराने ने पूरी तरह से भगवान को अपना जीवन और संपत्ति सौंप दी है। बता दें कि 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्‍य में राज किया था। फिलहाल मंदिर की देख-रेख का कार्य शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट संभाल रहा है।

पिछले दिनों सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में इस मंदिर में खुदाई का काम चला। लेकिन इस मंदिर के 7वें दरवाजे के पास आते ही खुदाई के इस काम को रोक दिया गया। आधिकारिक तौर पर इस काम को रोकने की कोई बात सामने नहीं आई लेकिन ऐसा होना इस मंदिर में आस्था रखनेवाले लोगों के कौतुहल को बढ़ा गया। क्योंकि इस मंदिर के सातवें दरवाजे के बारे में बहुत सी दंत कथाएं प्रचलित हैं।
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करोड़ो का सोना निकला
कहा जाता है कि इस मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी खोला गया और इनमें एक लाख करोड़ रुपए के हीरे और जूलरी निकली थी। इसके बाद जैसे ही टीम ने वॉल्ट-बी यानी की सातवां दरवाजे के खोलने की शुरुआत की तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम रोक दिया गया। कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना अशुभ होगा। मान्यताओं के अनुसार, त्रावणकोर के महाराज ने बेशकीमती खजाने को इस मंदिर के तहखाने और मोटी दीवारों के पीछे छुपाया था। जिसके बाद हजारों साल तक किसी ने इन दरवाजो खोलने की हिमाकत नहीं की है और इस तरह से बाद में इसे शापित माना जाने लगा। कथाओं के अनुसार, एक बार खजाने की खोज करते हुए किसी ने 7वें दरवाजे को खोलने की कोशिश की, लेकिन कहते हैं कि जहरीले सांपों के काटने से सबकी मौत हो गई।

दरवाजा खोलने पर आ सकती है प्रलय
बताया जाता है कि ये दुनिया का सबसे धनी हिंदू मंदिर है, जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हैं। इस मंदिर के सातवें दरवाजे को सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। इस मंदिर को किसी भी तरह खोला गया तो मंदिर नष्ट हो सकता है, जिससे भारी प्रलय तक आ सकती है। दरअसल, यह दरवाजा स्टील का बना है। इस पर दो सांप बने हुए हैं, माना जाता है कि ये सांप इस द्वार की रक्षा करते हैं। इस दरवाजे में कोई नट-बोल्ट या कब्जा नहीं हैं।

कहा जाता है कि इस दरवाजे को ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का प्रयोग कर बंद किया है। इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट और सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकता है। अगर इसमें कोई गलती हो गई तो मृत्यु निश्चित मानी जाती है। बताया जाता है कि फिलहाल भारत तो क्या दुनिया के किसी भी कोने में ऐसा सिद्ध पुरुष नहीं मिल सका है जो इस मंदिर की गुत्थी सुलझा सके।
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कब जा सकते हैं दर्शन के लिए
अपनी वास्तुकला और आर्किटेक्चर के लिए विख्यात यह मंदिर हर रोज सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर खुल जाता है। सुबह के समय यहां 3:30 से 4:45 तक दर्शन किए जा सकते हैं। इसके बाद 6:30 से 7 बजे तक। फिर 8:20 से 10 बजे तक, 10:30 से 11 बजे तक और 11:45 से 12 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। शाम के समय यह मंदिर 5 बजे से 6 बजकर 15 मिनट तक और 6 बजकर 45 मिनट से 7 बजकर 20 मिनट तक खुला रहता है।

कैसे पहुंचे?
हिंदू आस्था से जुड़े इस प्रसिद्ध मंदिर तक पहुंचने के लिए रेल, सड़क और हवाई यात्रा का सहारा लिया जा सकता है। देश के लगभग सभी बड़े एयरपोर्ट से तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए हर रोज फ्लाइट है। अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो देश के बड़े शहरों से तिरुवनंतपुरम रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। इसके जरिए आप तिरुवंदरम सेंट्रल, वर्कला शिवगिरी, तिरुवेंद्रम कोचुवेली, तिरुवनंतपुरम पेट्टा, कज्जाकुट्टम और त्रिवेंद्रम वेली रेलवेस्टेशन तक पहुंच सकते हैं। यहां से आसानी से पद्मनाभ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

वहीं अगर आप बस से सफर करना चाहते हैं तो दिल्ली, मुंबई, चेन्नै और बेंगलुरु से बस की टाइमिंग पता करें और अपने लिए आसानी से टिकट बुक करें। इसके साथ ही कई बड़े शहरों से अलग-अलग रूट के जरिए बस से यात्रा की जा सकती है। बुकिंग के बाद आप तिरुवनंतपुरम बस स्टॉप तक की यात्रा कर सकते हैं। यहां से लोकल ट्रांसपोर्ट के जरिए मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
Web Title padmanabhaswamy temple kerala timing to visit and how to reach know about its religious importance and historical facts


पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में सुधार कार्य किए गए जाते रहे हैं। उदाहरणार्थ 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।

महत्व[संपादित करें]

मंदिर का महत्व यहाँ के पवित्र परिवेश से और बढ जाता है। मंदिर में धूप-दीप का प्रयोग एवं शंखनाद होता रहता है। मंदिर का वातावरण मनमोहक एवं सुगंधित रहता है। मंदिर में एक स्वर्णस्तंभ भी बना हुआ है जो मंदिर के सौदर्य में इजाफा करता है। मंदिर के गलियारे में अनेक स्तंभ बनाए गए हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है जो इसकी भव्यता में चार चाँद लगा देती है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है। इस मन्दिर में हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में और दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु पद्मनाभस्वामी से सुख-शांति की कामना करते हैं।

मंदिर का स्थापत्य[संपादित करें]

पद्मनाभस्वामी मंदिर का मुख्य द्वार
प्द्मनाबह्स्वामी मन्दिर तक पहुँचाने वाले मार्ग का दृष्य
पद्मनाभ स्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है। मंदिर के निर्माण में द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला जुला प्रयोग देखा जा सकता है।
मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के पास ही सरोवर भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है।

मंदिर की सम्पत्ति[संपादित करें]

मन्दिर तथा इसकी सम्पत्ति के स्वामी भगवान पद्मनाभस्वामी ही हैं। बहुत दिनों तक यह मंदिर तथा इसकी सम्पत्तियों की देखरेख और सुरक्षा एक न्यास (ट्रस्ट) द्वारा की जाती रही जिसके अध्यक्ष त्रावणकोर के राजपरिवार का कोई सदस्य होता था। किन्तु वर्तमान समय में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने राजपरिवार को इस मंदिर के प्रबन्धन के अध्यक्षता करने से रोक दिया है। [1][2]
जून २०११ में सर्वोच्च न्यायालय ने पुरातत्व विभाग तथा अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि मन्दिर के गुप्त तहखानों को खोलें और उनमें रखी वस्तुओं का निरीक्षण करें। इन तहखानों में रखी करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति का पता चला है। हालांकि अभी भी तहखाने-बी को नहीं खोला गया है। सुप्रीमकोर्ट ने इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी है। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि ये संपत्ति मंदिर की है और मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
ശ്രീ പദ്മനാഭസ്വാമി ക്ഷേത്രം
TVM aps temple.jpg
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिंदू धर्म
देवतापद्मनाभस्वामी (विष्णु)
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितितिरुवनंतपुरम
राज्यकेरल
देशभारत
पद्मनाभस्वामी मंदिर की केरल के मानचित्र पर अवस्थिति
पद्मनाभस्वामी मंदिर
केरल में स्थिति
भौगोलिक निर्देशांक8°28′58″N 76°56′37″E
वास्तु विवरण
प्रकारद्रविड़ स्थापत्यकला (कोविल)

Padmanabhaswamy Temple: The most rich and mysterious temple of the country, must visit
Faith and curiosity are attached to this temple. Curiosity is about the stories related to it. This temple is one of the richest temples in the country. Learn, the mythology and religious significance associated with the Padmanabha Swamy Temple located in Thiruvananthapuram, Kerala. Time to leave as well.
NavbharatTimes.com | Updated: 15 Jan 2019, 04:31:00 PM IST
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The Padmanabha Swamy Temple located in Thiruvananthapuram, Kerala is dedicated to Lord Vishnu. Also, this temple is counted in some mysterious places of the world. There are many such secrets hidden in this temple, which people have not been able to solve even after many attempts. The secret of the seventh door of this temple raises questions in everyone's mind. Come, know the stories related to that mystery of this temple. Also, when can this temple be easily visited.

It is believed that this temple was built by the kings of Travancore in the 6th century, which is also mentioned in the texts of 9th century. In the year 1750, Maharaj Martand Verma described himself as a servant of God i.e. 'Padmanabha Das'. With this, the Travancore royalty has completely entrusted its life and property to the Lord. Tell that till 1947, the kings of Travancore ruled this state. Presently, the work of maintaining the temple is being handled by a private trust under the royal family.
Recently, under the supervision of the Supreme Court, excavation work was done in this temple. But as soon as the 7th door of this temple approached, this excavation work was stopped. There was no word of officially stopping this work, but this happened increased the curiosity of the people who believe in this temple. Because there are many legends about the seventh door of this temple.
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Gold worth millions
It is said that there are 7 cellars in this temple, which were opened by the Supreme Court and found diamonds and jewelery worth one lakh crore rupees. After this, as soon as the team started opening the seventh door of Vault-B i.e. work was stopped after seeing the picture of the cobra snake on the door. Many believed that it would be inauspicious to open this door. According to beliefs, the Maharaj of Travancore hid the prized treasure behind the basement and thick walls of this temple. After which no one has dared to open these doors for thousands of years and in this way it later came to be considered cursed. According to legend, once while searching for the treasure, someone tried to open the 7th door, but it is said that everyone died due to the bite of poisonous snakes.

Holocaust can occur when the door is opened
It is said that it is the richest Hindu temple in the world, in which precious diamonds and jewels are studded. The seventh door of this temple can only be opened with the utterance of some mantras. If this temple is opened in any way, then the temple can be destroyed, which can lead to heavy catastrophe. Actually, this door is made of steel. There are two snakes on it, these snakes are believed to protect this gate. There are no nuts or bolts in this door.

It is said that this door is closed using the mantras 'Nag Bandham' or 'Nag pasham'. It can only be opened by chanting the 'Garuda Mantra' clearly and accurately. If there is a mistake in it, then death is considered certain. It is said that at present, India has not found such a perfect man in any corner of the world, who can solve the mystery of this temple.
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When can you go to visit
Known for its architecture and architecture, this temple opens every morning at 3:30 in the morning. It can be seen here in the morning from 3:30 to 4:45. Thereafter from 6:30 to 7 pm. Then from 8:20 to 10 o'clock, 10:30 to 11 o'clock and 11:45 to 12 o'clock can be seen. In the evening, this temple is open from 5 am to 6:15 pm and from 6.45 am to 7.20 pm.

How to reach
Rail, road and air travel can be taken to reach this famous temple associated with Hindu faith. There are daily flights to Thiruvananthapuram Airport from almost all major airports in the country. If you want to travel by train then Thiruvananthapuram is connected by rail to major cities of the country. Through this, you can reach Thiruvandram Central, Varkala Sivagiri, Thiruvendram Kochuveli, Thiruvananthapuram Petta, Kadazhakutam and Trivandrum Veli railway station. Padmanabha Temple can be easily reached from here.

On the other hand, if you want to travel by bus, then find the bus timings from Delhi, Mumbai, Chennai and Bengaluru and book tickets easily for yourself. Along with this, one can travel by bus through different routes from many big cities. After booking you can travel to Thiruvananthapuram bus stop. The temple is easily accessible from here via local transport.
Web Title padmanabhaswamy temple kerala timing to visit and how to reach know about its religious significance and historical facts


Padmanabhaswamy Temple is a famous Hindu temple of Lord Vishnu located in Thiruvananthapuram in the state of Kerala, India. This historic temple included among the major Vaishnava temples of India is one of the many tourist places in Thiruvananthapuram. Padmanabha Swamy Temple is an important place of worship for Vishnu-devotees. Improvement works have been done in the temple structure. For example, in 1733 AD, this temple was rebuilt by Maharaja Martad Varma of Travancore. Padma

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