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आमेर के किले का इतिहास- History Of Aamer Fort In Hindi

 आमेर  किला (Amer Fort) आमेर में स्थापित है ।  आमेर 4 वर्ग किलोमीटर (1.5 वर्ग मीटर ) में फैला एक शहर है जो भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर से 11  किलोमीटर दूरी पर स्थित है।  आमेर किला ऊँचे पर्वतो पर बना हुआ है।  यह जयपुर क्षेत्र का मुख्य पर्यटन क्षेत्र है।  असल में आमेर शहर को मीणाओ ने बनवाया था और बाद में राजा मान सिंह ने वहां प्रथम शासन किया था।



आमेर किले का इतिहास - History Of Amer Fort

आमेर का किला हिन्दू कला के लिए प्रसिद्ध है।  किले में बहुत से दर्शनीय पथदीप, दरवाजे और छोटे तालाब बने हुए है।  आमेर किले में पानी का मुख्य स्त्रोत है।  


आमेर के कलात्मक माहौल को हम उसकी दीवारों में देख सकते हैं।  जो लाल पत्थर और मार्बल से बनी हुई हैं।  किले में आँगन भी बना हुआ है।  किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास और शीश महल ओट जय मंदिर और सुख निवास भी बना हुआ है जहाँ हमेशा ठंडी और ताजा प्राकृतिक हवाएं चलती रहती हैं।  


इसलिए आमेर किले को कई बार आमेर आमेर महल भी कहा जाता है।  इस महल में पहले राजपूत महाराजा और उनका परिवार रहता था।  किले के प्रवेश द्वार गणेश गेट पर चैतन्य पंथ की देवी सिला देवी का मंदिर बना हुआ है जो राजा मानसिंह को दिया गया था जब उन्होंने 1604  में बंगाल में जैसोर के राजा को पराजित किया था (फिलहाल जैसोर बांग्लादेश में आता है।) 


जयगढ़ किले के साथ यह महल चील का टीला के ऊपर ही स्थित किया गया है।  महल और जयगढ़ किले को एक काम्प्लेक्स ही मन जाता है क्योंकि ये दोनों एक ही गुप्त मार्ग से जुड़े हुए हैं।  युद्ध के समय इस मार्ग का उपयोग शाही परिवार के सदस्यों को बाहर निकलने में किया जाता था जिन्हें गुप्त रास्ते से आमेर किले से निकालकर जयगढ़ किले में ले जाया जाता था।


हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ़ आर्कियोलॉजी द्वारा किये हुए सर्वे के अनुसार रोज 5000 पर्यटक आ चुके हैं।  2013 में कोलंबिया के फनों पेन्ह में ली गयी 37वी वर्ल्ड हेरिटेज मीटिंग में आमेर किले के साथ ही राजस्थान के पांच और किलो को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया था।


प्रारंभिक इतिहास 
कचवाहस  के समय आमेर एक  छोटा महल था जिसे मीणाओ ने बनवाया था, उन्होंने इस महल को उनकी मातृ देवी गट्टा रानी के लिए बनवाया था।  कहा जाता है कि वास्तव में किले का निर्माण 967 शताब्दी में राजा मानसिंह ने किया था।  आमेर के कछवाह राजा मानसिंह के शासनकाल में इस किले का निर्माण किया गया था और साथ की कलाकृतियाँ भी की गयी थी।  


उनके जाने के बाद जय सिंह प्रथाम ने भी आमेर किले पर बहुत समय तक राज किया था, जबतक की कछवाह अपनी राजधानी को जयपुर में स्थानांतरित नहीं कर लेते।  


आमेर किले की कुछ रोचक बाते - Interest Facts About Amer Fort Jaipur

आमेर का नामकरण अम्बा माता से हुआ था, जिन्हे मीणाओं की देवी कहा जाता था।  

आमेर किले की आंतरिक सुंदरता में महल में बना शीश महल सबसे बड़ा आकर्षक है।  

राजपूतो के सभी किलो और महलो में आमेर का किला सबसे रोमांचक है।  

आमेर किले की परछाई मौटा झरने में पड़ती है, जो एक चमत्कारिक परियो के महल की तरह ही दीखता है।  


किले का सबसे बड़ा आकर्षक कीले के नीचे है जहां हाथी आपको आमेर किले में ले जाते हैं।  हाथी की सैर करना निश्चित ही सभी को आकर्षित करता है।  


अम्बेर में स्थापित, जयपुर से 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित आमेर किला कछवाह राजपूतों की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन जयपुर बनने के बाद जयपुर उसकी राजधानी बन गई थी। 


महल का एक और आकर्षण चमत्कारिक फूल भी है, जो एक मार्बल का बना हुआ है और जिसे सात अद्भुद आकारों में बनाया गया है।  मार्बल द्वारा बानी हुई यह आकृति सभी का दिल मोह लेती है।  


महल का एक और आकर्षण प्रवेश द्वारा गणेश गेट है, जिसे प्राचीन समय  की कलाकृतियों और आकृतियों से सजाया गया  है।  जयगढ़ किले और आमेर किले के बीच एक - दो किलोमीटर का गुप्त मार्ग भी बना हुआ है।  पर्यटक इस रास्ते से होकर एक किले से दूसरे में जा सकते हैं। 

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