भगत सिंह ने किस संगठन की स्थापना की थी ?
नौजवान भारत सभा
नौजवान भारत सभा का नाम अपने आप में एक महान क्रान्तिकारी विरासत को पुनर्जागृत करने और आगे बढ़ाने के संकल्प का प्रतीक है। महान युवा विचारक क्रान्तिकारी भगतसिंह ने औपनिवेशिक गुलामी के विरुद्ध भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को नया वैचारिक आधार देने और नये सिरे से संगठित करने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर जब एक नयी शुरुआत की तो उनका पहला महत्वपूर्ण कदम था, 1926 में नौजवान भारत सभा के झण्डे तले नवयुवकों को संगठित करना। इसके दो वर्षों बाद भगतसिंह और उनके साथियों ने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ नामक नये क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की और स्पष्ट शब्दों में यह घोषणा की कि औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद भारत की आम जनता को पूँजीवाद के ख़ात्मे और समाजवाद की स्थापना के लिए संघर्ष करना होगा। केवल तभी, भारतीय जनता की मुक्ति वास्तविक और मुकम्मिल हो सकेगी। आज यह सच्चाई दिन के उजाले की तरह साफ हो चुकी है कि देशी-विदेशी पूँजी की जकड़बन्दी को तोड़कर ही बहुसंख्यक मेहनतकश आबादी और आम मध्यवर्गीय जमातें अपनी वास्तविक मुक्ति हासिल कर सकती हैं।
शहीदे-आज़म भगतसिंह ने देश की राजनीतिक आजादी हासिल होने से काफ़ी पहले ही, पिछली शताब्दी के तीसरे दशक में, यह स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस उन देशी मुनाफ़ाख़ोरों की पार्टी है जो साम्राज्यवादियों से सौदेबाजी करके अपने लिए सत्ता हासिल करना चाहते हैं, जबकि क्रान्तिकारियों के लिए आजादी का मतलब गोरी चमड़ी की जगह काली चमड़ी का शासन कायम हो जाना मात्र या लॉर्ड रीडिंग और लॉर्ड इर्विन की जगह पुरुषोत्तम दास ठाकुर दास का सत्तासीन हो जाना मात्र नहीं है। उन्होंने आजादी की परिभाषा 92 प्रतिशत लोगों की आजादी के रूप में, विदेशी प्रभुत्व के साथ ही देशी-विदेशी – हर किस्म की पूँजी द्वारा जनता के शोषण के ख़ात्मे के रूप में की थी और मेहनतकश आम जनता की सत्ता की स्थापना तथा एक समानतापूर्ण सामाजिक ढाँचे के निर्माण को क्रान्ति का लक्ष्य बताया था। उन्होंने 1930 में ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि कांग्रेस की लड़ाई का अन्त किसी न किसी समझौते के रूप में होगा और जेल की कालकोठरी से सन्देश भेजकर युवाओं का आह्वान किया था कि उन्हें क्रान्ति का सन्देश लेकर कल-कारखानों और खेतों-खलिहानों तक जाना होगा। आज हमारे चारों ओर अन्याय-अनाचार-भ्रष्टाचार-लूट-बर्बरता और निराशा का जो घुटन और सड़ाँध भरा अँधेरा छाया हुआ है, उसमें भगतसिंह का सन्देश आम जनता के तमाम बहादुर मुक्तिकामी बेटे-बेटियों के लिए क्षितिज पर अनवरत जलती एक मशाल के समान है, भविष्य की राह रौशन करते एक प्रकाश-स्तम्भ के समान है।
0 Comments