ताजमहल में नहीं यहां दफनाई गई थीं मुमताज, लाश ले जाने में खर्च हुए थे आठ करोड़
भोपाल। ये तो सब जानते हैं कि दुनिया का आठवां अजूबा आगरा का ताजमहल शाहजहां और मुमताज के प्यार की दास्तां ब्यान करता है, जिसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए बनवाया था। सबको ये भी पता है कि इसी ताजमहल में शाहजहां और मुमताज की कब्र बनी हैं जहां दोनो को दफनाया गया था। लेकिन क्या आपको ये पता है कि मुमताज महल के शरीर को आगरा से पहले कहीं और भी दफनाया गया था?
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि मुमताज महल को सबसे पहले आगरा में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की जैनाबाद तहसील में दफनाया गया था। मुमताज की कब्र ताप्ती नदी के पूर्व में आज भी स्थित है। जैनाबाद में जब वह अपनी चौदहवीं संतान को जन्म दे रही थीं तो उसी दौरान उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद उन्हें छह महीने तक यहीं दफनाया गया था। जैनाबाद में छह महीनों तक उन्हें यहां दफनाने के बाद उनके अवशेष का आगरा के ताजमहल में स्थानांतरण किया गया।
14 साल की उम्र में हो गई थी सगाई
मुमताज महल का का जन्म अप्रैल सन् 1593 में हुआ था। मुमताज और शाहजहां की मुलाकात एक बाजार में हुई थी। मुमताज महल की सगाई 14 साल की उम्र में ही शाहजहां के साथ कर दी गई। सगाई के पांच साल बाद 10 मई, सन् 1612 को शाहजहां और मुमताज का निकाह हो गया और मुमताज शाहजहां की तीसरी और पसंदीदा बेगम बनीं। इतिहासकारों के मानें तो सन् 1631 में जब लोधी ने विद्रोह किया तब शाहजहां मुमताज को लेकर बुरहानपुर आ गए। उस वक्त मुमताज गर्भवती थीं, वह अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देने वाली थीं।
चौहदवीं संतान को जन्म देने के दौरान हुई मौत
17 जून सन् 1631 में इसी बच्चे को जन्म देने के दौरान उनकी मौत हो गई। 19 साल तक चली शादी में उन्होंने 14 बच्चों को जन्म दिया। इनमें से सात बच्चों की कम उम्र में ही मौत हो गई। उसके दूसरे दिन गुरुवार की शाम उन्हें वहीं आहुखाना के बाग में ही दफना दिया गया। यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि यह इमारत आज भी वहां मौजूद है।
लाश लाने में खर्च हुए आठ करोड़
बरहनपुर में छह महीने दफनाने के बाद मुमताज महल के अवशेष को जुलूस के साथ आगरा लाया गया और ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया। जानकारों की मानें तो इस जुलूस पर उस समय आठ करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
0 Comments